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Karnal News: एक्सरे मशीनों पर धूल, मरीजों पर शूल

- जिले की 15 लाख आबादी पर मात्र पांच रेडियोग्राफर, 36 स्वीकृत पदों में से 31 खाली- घरौंडा व नीलोखेड़ी को छोड़ किसी भी सीएचसी में नहीं रेडियोग्राफरअनुज शर्माकरनाल। जिले के अस्पतालों में रेडियोग्राफरों के बिना एक्स-रे मशीनें धूल फांक रही हैं और मरीज धक्के खा रहे हैं। लाचार होकर उन्हें निजी अस्पतालों में ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। हालात ये हैं कि जिले के एक्स-रे विभाग में स्वीकृत 36 पदों पर मात्र पांच रेडियोग्राफर तैनात हैं। आबादी पर नजर डाली जाए तो करनाल जिले की जनसंख्या 15 लाख पांच हजार 324 है यानी तीन लाख एक हजार 64 लोगों पर एक रेडियोग्राफर तैनात है।बता दें कि किसी भी सरकारी अस्पताल में रेडियोग्राफर का पद अस्पताल की बेडों की स्थिति पर निर्भर करता है। जिसमें 50 बेड वाले एक सरकारी अस्पताल में एक रेडियोग्राफर की तैनाती की जाती है। ऐसे ही 100 बेड वाले एक सरकारी अस्पताल में पांच, 200 बेड वाले अस्पताल में छह और 300 बेड वाले अस्पताल में 10 पद दिए जाते हैं। सिविल अस्पताल करनाल में 200 बेड और ट्रामा सेंटर होने के कारण 10 पद स्वीकृत किए हुए हैं, लेकिन यहां मात्र तीन रेडियोग्राफर तैनात हैं। ऐसा ही हाल जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का है। जहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले की आबादी को एक्स-रे की सुविधा देने के लिए अत्याधुनिक 10 एक्स-रे मशीनें उपलब्ध करवाई गई हैं, लेकिन इन्हें चलाने के लिए रेडियोग्राफर उपलब्ध नहीं करवाएं हैं। जिसके चलते जिले की एक्स-रे व्यवस्था चरमरा रही है। संवादनीलोखेड़ी व घरौंडा को छोड़ सभी मशीनें फांक रही धूलजिले में नीलोखेड़ी सरकारी अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घरौंडा में एक-एक पद पर रेडियोग्राफर तैनात है। इसके अलावा असंध, बल्ला, निसिंग, तरावड़ी व इंद्री की अत्याधुनिक एक्स-रे मशीनें धूल फांक रही हैं। जिनके लिए स्थानीय अधिकारी कई बार स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्राचार के माध्यम से जिले में रेडियोग्राफर की तैनाती की मांग कर चुके हैं। उसके बावजूद आज तक रिक्त पड़े 31 पदों पर एक भी भर्ती नहीं हो पाई है।सिविल अस्पताल पर बढ़ा बोझसामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर रेडियोग्राफर की भर्ती न होने से इसका असर सिविल अस्पताल के एक्स-रे विभाग पर पड़ रहा है। यहां रोजाना 120 से 130 के बीच में एक्स-रे हो रहे हैं यानी कि प्रतिमाह लगभग तीन हजार से अधिक एक्स-रे हो रहे हैं। इसके अलावा एमएलसी वर्क, रेफरल, बिजली निगम, मेडिकल, पुलिस विभाग, खिलाड़ी सहित नई नौकरी के लिए होने वाले मेडिकल का भार भी एक्स-रे विभाग पर पड़ रहा है।जिले में कुल 10 एक्स-रे मशीनजिले कुल 10 एक्स-रे मशीनें हैं, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण इन्हें सुचारू रूप से नहीं चलाया जा रहा है। इन एक्स-रे मशीनों में सिविल अस्पताल करनाल में दो, सब डिविजनल अस्पताल असंध में एक, सब डिविजनल अस्पताल नीलोखेड़ी में एक, सीएचसी बल्ला में एक, सीएचसी निसिंग में एक, सीएचसी तरावड़ी में एक, सीएचसी इंद्री में एक, सीएचसी घरौंडा में एक और मधुबन पुलिस अकादमी में एक एक्स-रे मशीन शामिल है।बल्ला, असंध, तरावड़ी व निसिंग में सप्ताह में एक दिन एक्स-रे की सुविधा दी जा रही है। डीजीएचएस डॉ. सोनिया त्रिखा का पत्र मिला है, जिसमें जिले के लिए पांच रेडियोग्राफर भेजने की सूचना है। ऐसे में जल्द रेडियोग्राफर की भर्ती करवाकर बंद पड़ी एक्स-रे मशीनों को चलाया जाएगा और प्रतिदिन मरीजों को सुविधा दी जाएगी।विनोद कुमार, सिविल सर्जन, करनाल

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 19, 2023, 02:43 IST
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